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बायोकेमिक चिकित्सा प्रणाली और बायोकेमिकल दवाइयां

क्या आप जानते हैं कि   बायोकेमिकल चिकित्सा प्रणाली  और  बायोकेमिकल दवाइयां क्या हैं?   घर परिवार में होम्योपैथिक  दवाइयां, बायोकेमिक दवाइयां तथा आयुर्वेदिक दवाइयों की थोड़ी बहुत नॉलेज अवश्य होनी चाहिए. क्योंकि इन दवाइयों का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता और घरेलू मेटेरिया मेडिका के द्वारा होम्योपैथी और बायो केमिक दवाइयों का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं. हालांकि किसी भी बीमारी का इलाज डॉक्टर से ही कराना चाहिए किंतु घर परिवार में आए दिन छोटी मोटी बीमारी लगी ही रहती है. रोजमर्रा की साधारण बीमारियों को हम इन पैथी से   घर पर ही इलाज कर सकते हैं और क्योंकि यह साइड इफेक्ट नहीं देती ना ही नुकसान करती हैं. हमें फिर बार-बार डॉक्टर के पास भागना नहीं पड़ता. यहां इस लेख में हमने बायोकेमिकल दवाइयों के बारे में प्रारम्भिक जानकारी देने का प्रयास किया है. बायोकेमिकल चिकित्सा प्रणाली क्या है? वैसे आपने  बायोकेमिकल दवाओं के बारे में पहले भी अवश्य ही सुना होगा.  डॉक्टर सैमुअल हैनीमैन  के द्वारा  होम्योपैथिक सिद्धांत  का प्रतिपादन करने के बाद डा. डब्लू. एच. शुस्लर ने  बायोकेमिक चिकित्सा प्रणाली  

लेख-- क्या आप भी जिम जाती हैं

जिम जाना आपके लिए फिजूलखर्ची तो नहीं? क्यों ना जिम के फायदे घर पर रह कर ही उठायें. कैसे? यह इस लेख में बताया गया है.. क्या आप भी जिम जाती हैं Unsplash.com से साभार आज कल जिम जाना फिटनेस के साथ-साथ फैशन सिंबल भी बन गया है. यह एक महंगा शौक है. पढ़ें यह लेख भी- जीवन को बेहतर बनाने के व्यवहारिक सुझाव अपने पेशे के हिसाब से जिम जाना तो सही है मगर आम मध्यमवर्गीय महिलाओं के लिए यहां कुछ टिप्स है जो घर पर ही आजमा कर वे जिम के खर्च को बचा सकती हैं. इन टिप्स को आजमाने से उन्हें जिम जाने की कोई जरूरत महसूस नहीं होगी.... 1. सुबह पैदल डेढ - दो किलोमीटर अवश्य ही घूमने जायें. दिनभर शरीर व मन-मस्तिष्क तरोताजा रहेंगे.  2. घर पर रसोई की व्यवस्था ऐसी बनाएं कि रसोईघर में काम आने वाला कुछ सामान खाना बनाने वाले स्लैप के ऊपर हो और कुछ सामान खाना बनाने वाले स्लैैप के नीचे जैसे- दाल आटा, बर्तन आदि. कहने का तात्पर्य है कि अपने हिसाब से ऐसी व्यवस्था करें जिससे आप को ऊपर से भी सामान उठाना पड़े और नीचे से भी इससे आपकी इससे आपको बार-बार झुकना पड़ेगा तो कभी हाथ ऊपर हाथ ऊपर करके सामान को उचक कर

होम्यो स्वास्थ्य सलाह

इस स्तंभ के अंतर्गत आप अपनी  स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं  के समाधान के लिए होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में सलााह प्राप्त कर सकते हैं.  आप की समस्याओं का जबाब देने के लिए हमने होम्यो फिजीशियन डा. राजेन्द्र कुमारजी  को  आमंत्रित किया है. आप अपनी समस्याएं  comment box में  लिख कर पूछ सकते हैं. 

गोलगप्पों के शौकीन गोलगप्पे अवश्य खायें मगर सावधानीपूर्वक

गोलगप्पों   का भला कौन  शौकीन  नहीं होता? क्या लड़के, क्या लड़कियां, शादी ब्याह में भी आप देखते होंगे कि लोग बड़े चटखारे ले लेकर  गोलगप्पे  खाते हैं. गोलगप्पे या पानीपूरी सब की पसन्द.. गोलगप्पें खाएं पर सोच-समझ कर गोलगप्पों का शौकीन होना बुरी बात नहीं है मगर क्या कभी सोचा है कि चौक-चौराहे, सड़क-किनारे और नुक्कड़ों पर खड़े हुए इन ठेलों पर गोलगप्पे खाना आपकी सेहत के लिए कितना नुकसानदायक हैं.

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पतिपत्नी के प्रेम पर दिल को छू लेने वाली भावपूर्ण कविता 'साथी मेरे'

पतिपत्नी के प्रेम पर आपने बहुत कविताएं पढ़ी होगी। पतिपत्नी के संबंधों की गहनता पर   पति द्वारा   जीवन संगिनी अर्थात   पत्नी को सम्बोधित करती दिल को छू लेने वाली यह   भावपूर्ण कविता  ' साथी मेरे ' पढ़ें . पति-पत्नी के बीच का संबंध   बहुत गहरा , बहुत पवित्र और जन्म जन्मांतर का संबंध होता है. एक दूसरे के लिए वह संगी साथी,जीवन साथी सभी कुछ होते हैं. दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं. संग संग रहते हुए वह एक दूसरे की अनुभूतियों   में समा जाते हैं. इसी पवित्र, प्यारे और सुंदर रिश्ते को लक्षित करते हुए लिखी गई है मेरी यह मौलिक  कविता .  आशा है आपकी प्रतिक्रियाएं अवश्य मिलेगी...

पति पर हास्य कविता| पति पत्नि की मनोरंजक नोकझोंक

हम लेकर आये हैं अंजू अग्रवाल द्वारा रचित पति पर   हास्य कविता। पति पत्नी की नोकझोंक प र लिखी गयी यह कविता निश्चय ही आपका मनोरंजन करेगी.   एक हास्य पति पर लिखी कविता कवि सम्मेलनों में प्राण फूंक देती हैं. उस पर भी पत्नी पर लिखी गयी हास्य कविताओं का तो श्रोता कुछ अधिक ही आनंद लेते हैं.  हास्य कवि तो मंच पर पत्नियों की बैंड बजा कर वाहवाही लूट मस्त रहते है पर एक हास्य कवि की पत्नी से यह बर्दाश्त न हुआ कि हमारा मजाक उड़ा पतिदेव वाहवाही लूटें तो उसने भी पतिदेव की बैंड बजाने की सोच एक हास्य कविता लिख दे मारी।  ऐसा ही कुछ दृश्य इस कविता की विषय वस्तु हैं.      कविता का आनंद ले-.    हास्य कविता-  मैं तो बिन सुने ही हंसता हूँ सोचा हमने कि मंच, पर हम भी जमेंगे श्रोता वाह वाह तब , हम पर भी करेंगे तंज कसते पत्नियों पर, यह मंच पर नित्य  हास्य कवि पति अब, हमसे भी ना बचेंगे. कविता एक हास्य की , हमने भी लिख मारी कहा इनसे सुनो जी , बोले आयी आफत हमारी पता था हमको यह, कि नौटंकी जरूर करेंगे नहीं हिम्मत मगर इतनी, कि कविता ना सुनेंगे. कहा हमने बोरिंग नहीं, कविता हंसने वाली है बोले तपाक से अच्छ

'मेरी तुम ज़िंदगी हो' valentine day love poem for husband from wife

A valentine day love poem(प्रेम कविता) for husband from wife (पति के लिए पत्नी की प्रेम भावनाएं 'मेरी तुम ज़िंदगी हो' कविता के रूप में)..  कितना प्यारा रिश्ता होता है पति पत्नी का. कभी खट्टा कभी मीठा। जितना चटपटा जायकेदार तो उतना ही मन की गहराइयों तक उतर कर अपनेपन की अलौकिक अनुभूति से सराबोर करने वाला. मगर यह रिश्ता प्यार की अनुभूति के साथ साथ प्यार की अभिव्यक्ति भी चाहता है, दिल की गहराइयों से निकले प्यार के कुछ बोल भी चाहता है. वो बोल अगर अपने जीवनसाथी के लिए  पति या पत्नी द्वारा रचित, लिखित या कथित प्रेम कविता के रूप में हो तो कहना ही क्या. एक नया रंग मिल जाएगा आपके प्यार को.  हमारे भारतीय समाज में जिम्मेदारियों और जीवन की भागदौड़ के रहते अक्सर पति-पत्नी ( husband wife) एक दूसरे के प्रति अपने प्रेम को मुखर नहीं करते और जीवन का ढर्रा एकरस सा चलता रहता है. जीवन में रंग भरने के लिए प्रेम की अभियक्ति भी जरूरी है. वह I love you वाली घिसी पिटी अभिव्यक्ति नहीं बल्कि हृदय की गहराई से निकले प्रेम के सच्चे भाव. शायद ऐसे ही अवसरों के लिए अब Valentine day  और marriage day (mar

दाम्पत्य जीवन मे पत्नी के लिए पति के भावों को व्यक्त करती प्रेम कविता- मैं एक फूल लेकर आया था

प्रेम भी अभिव्यक्ति चाहता है. दाम्पत्य जीवन में एक दूसरे के लिए कुछ आभार व प्यार भरे शब्द वो भी प्रेम   कविता के रूप में पति-पत्नी के प्रेम को द्विगुणित कर देते हैं.  युगल   चाहे वे दम्पति हो अथवा  प्रेमी-प्रेमिका  के बीच  प्रेम  की एक नूतन अभिव्यक्ति.... पत्नी के समर्पण और प्रेम के लिए पति की और से आभार और प्रेम व्यक्त करती हुई एक भावपूर्ण  प्रेम  कविता...   मैं एक फूल लेकर आया था

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प्रस्तुत है जीवन के सत्य असत्य का विवेचन करती एक आध्यात्मिक कविता 'मन समझ ना पाया'.  वास्तव में मन को समझना ही तो आध्यात्मिकता है. यह मन भी अजब है कभी शांत बैठता ही नहीं. जिज्ञासु मन में अलग-अलग तरह के प्रश्न उठते हैं. कभी मन उदास हो जाता है कभी मन खुश हो जाता है.  कभी मन में बैराग जागने लगता है कभी  आसक्ति . मन के कुछ ऐसे ही ऊहापोह में यह कविता मेरे मन में झरी और मैंने इसे यहां 'गृह-स्वामिनी' के  पन्नों  पर उतार दिया. पढ़कर आप भी बताइए कि यही प्रश्न आपके मन में तो नहीं उठते हैं. मन समझ ना पाया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया  कभी शांत झील सा वीतरागी यह मन  तो कभी भावनाओं का  अन्तर्मन में झोंका आया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया छोर थाम अनासक्ति का रही झाँकती आसक्ति लगा कोलाहल गया  हो गयी अब विश्रांति  जगी फिर यूं कामना  मन ऐसा उफनाया  कैसा तेरा खेल, प्रभु कोई समझ ना पाया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया कैसा जोग, कैसा जोगी  बैरागी कहलाये जो  बन  जाये  प्रेम-रोगी  सांसो में जो बस जाए  क्या मन वो भुला पाया 

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कविता- मां की कोख में स्थित कन्या-भ्रूण की मां से विनती

मां के गर्भ  में स्थित भ्रूण कन्या   का अपनी मां से निवेदन, एक विनती मार्मिक कविता के रूप में..... बेटियों को जन्म देने  के बारे में समाज की सोच में हालांकि अब काफी सकारात्मक परिवर्तन हुआ है फिर भी  कन्या-भ्रूण हत्या  की घटनाएं गाहे-बगाहे सुनने में आ ही जाती है. प्रस्तुत कविता में समाज की इसी सोच पर चोट करने की कोशिश की गयी है. नारी कमजोर नहीं, पढ़े यह कविता 'मैं नारी' कन्या भ्रूण हत्या पर मेरी यह  कविता  आपके समक्ष प्रस्तुत है- कन्या-भ्रूण हत्या कोख अपनी ना तुम यूं उजाड़ो मां बेटी बन कोख में आ गई मैं तो क्या नाम रोशन तेरा मैं करूँ देखना तेरी परछाई बन मैं रहूँ देखना बेटे से कम ना मुझको विचारो मां बेटी बन कोख में आ गई मैं तो क्या